क्या स्वामी विवेकानंद जी की राम मंदिर निर्माण की भविष्यवाणी 120 वर्ष पहले कर दी थी?

स्वामी विवेकानंद ने कई बातें ऐसे कहीं जो भविष्य में जाके सत्य साबित हुई हैं, ईसलिये कई बार उन्हें भविष्यवेत्ता भी कहा जाता है। इसी क्रम में स्वामी विवेकानंद से जुड़ी अयोध्या के राम मंदिर की एक कहानी है।
स्वामी विवेकानंद जी के जीवन मे मंदिरों का महत्व अत्यधिक था, उनके गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस कलकत्ता के प्रशिद्ध काली मंदिर के पुजारी थे। स्वामी विवेकानंद जी को भी प्रथम बार काली माँ के दर्शन उसी मंदिर में हुए थे। यँहा तक कि स्वामी विवेकानंद जी को ब्रह्म की सम्पूर्ण अनुभूति उत्तराखंड के प्रशिद्ध कसार देवी के मंदिर में हुआ था।
स्वामी विवेकानंद जी कहते थे, कि मंदिर में साधना ज्यादा फ़लित होती है क्योंकि वँहा अत्यधिक श्रद्धा के कारण दिव्य शक्तियों का घनत्व अधिक होता है। ये उसी तरह है जैसे वातावरण में हर जगह पानी होता है परंतु जब कंही जल का घनत्व अधिक हो जाता है तब वँहा वर्षा होती और व्यक्ति भीग जाता है। इसी तरह अगर आपको भक्ति में, या श्रध्दा में भीगना हो या डूबना हो तो मंदिर जाना जरूरी है।
स्वामी जी ने बहुत से प्रवचन दिए, उनके साथ हुए अनुभवों को कई व्यक्तियों ने साझा भी किया है। उन्ही अनुभवों में से एक अनुभव को एक उनके ही शिष्य ने अपनी आत्मकथा में लिखा है।
स्वामी अनंतदास ने अपनी जीवनी 'माई लाइफ विथ माई गुरु जी' मे लिखते हैं कि कलकत्ता के एक प्रसिद्ध व्यापारी ने राम मंदिर का निर्माण कराया, स्वामी जी को निमंत्रण दिया कि वो आके राम मंदिर का उद्घाटन करें। तिथी रख्खी गई भाद्रपद कृष्णा द्वितीय 1957।
स्वामी जी ने निर्धारित तिथि पे शुभ मुहूर्त में राम मंदिर का उद्घाटन किया, समस्त कार्यक्रम समाप्त होने के पश्चात जब वो वापस मठ को लौटने लगे, तो व्यापारी ने स्वामी जी के चरण पकड़ के उनको आने के लिए धन्यवाद दिया।
स्वामी जी इसपे बोले कि "अरे इसमे धन्यवाद काहे का, ये तो मेरा सौभाग्य है जो मैं अयोध्या के राम के कलकत्ता आगमन का प्रत्यक्षदर्शी बना।"
तभी वँहा भीड़ में कोई बोला, "अयोध्या के राम अयोध्या के कंहा रहे स्वामी जी, वँहा तो उनका मंदिर तो न जाने कब से ढहा दिया गया है।"
इसपे स्वामी जी ने कहा "मंदिर नही तो क्या हुआ, हम भारतीयों की श्रद्धा तो है। जब तक हमारी श्रद्धा है कि राम अयोध्या के हैं तब तक वो वंही के रहेंगे, और जिस दिन हमारी श्रद्धा अत्यधिक प्रबल हो जाएगी उसी दिन उनका मंदिर अयोध्या में फिर बन के खड़ा हो जाएगा"
इस तरह भाद्रपद कृष्णा द्वितीय 2077 अर्थात 5 अगस्त, 2020 को स्वामी जी के उस बात कहने के 120 वर्ष के उपरांत राम मंदिर की अयोध्या में फिर से नींव पड़ी और स्वामी विवेकानंद जी की भविष्यवाणी सही साबित हुई।
[12:30 PM, 8/5/2020] Ajay B. Sc AG: thk h sir